गुजरात के जामनगर में स्थित Vantara ने बुधवार को एक अहम बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि वह हाथी मधुरी को उसके पुराने घर कोल्हापुर वापस लाने की कोशिशों का पूरा समर्थन करता है। यह बयान महाराष्ट्र सरकार की उस घोषणा के बाद आया है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से पुराने आदेश की समीक्षा की मांग करने की बात कही थी।

कोर्ट के आदेश पर हुआ था मधुरी का स्थानांतरण
36 साल की हाथिनी मधुरी, जिसे महादेवी के नाम से भी जाना जाता है, को पिछले महीने कोर्ट के आदेश पर कोल्हापुर के नंदनी मठ से वंतारा के रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया गया था। यह कदम PETA की एक याचिका के आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर उठाया गया था।
Vantara का पक्ष: केवल कोर्ट के निर्देशों का पालन
वंतारा का कहना है कि उसने पूरी प्रक्रिया सिर्फ अदालत के निर्देशों के अनुसार निभाई, न कि किसी धार्मिक भावना या परंपरा में हस्तक्षेप करने के इरादे से। उनके मुताबिक, “हम जैन मठ, श्रद्धालुओं और कोल्हापुर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और यदि कोर्ट इजाज़त देता है, तो मधुरी की सुरक्षित और गरिमामय वापसी के लिए पूरी तकनीकी और पशु चिकित्सा सहायता देंगे।”

वंतारा: देश का बड़ा पशु पुनर्वास केंद्र
Vantara, जो अनंत अंबानी द्वारा संचालित होता है, एक बहुत ही बड़ा पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र है जहाँ 2,000 से ज्यादा प्रजातियों के 1.5 लाख से अधिक जानवर रहते हैं। मधुरी को यहां लाए जाने के बाद से उसका इलाज, पोषण और व्यवहारिक देखभाल की जा रही है।
कोल्हापुर में सैटेलाइट पुनर्वास केंद्र का प्रस्ताव
लेकिन अब जब महाराष्ट्र सरकार ने उसकी वापसी की पहल की है, वंतारा ने न सिर्फ इसका समर्थन किया है, बल्कि कोल्हापुर में ही एक सैटेलाइट पुनर्वास केंद्र बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। इस नए सेंटर की खास बात यह होगी कि यह जैन मठ, महाराष्ट्र सरकार और पशु कल्याण विशेषज्ञों के साथ मिलकर विकसित किया जाएगा।
नए केंद्र में मिलेंगी ये सुविधाएं
- इस प्रस्तावित सेंटर में शामिल होंगी ये सुविधाएं:
- जल चिकित्सा (हाइड्रोथैरेपी) तालाब और स्विमिंग एरिया
- लेज़र थेरेपी और पुनर्वास कक्ष
- रेत का गड्ढा, जहाँ हाथी प्राकृतिक रूप से खेल सके
- 24×7 पशु चिकित्सा क्लिनिक
- जंजीरों से मुक्त रात का आश्रय
- सॉफ्ट रबर फर्श और आरामदायक रेत के ढेर
समुदाय की भावनाओं को लेकर वंतारा की संवेदनशीलता
Vantaraने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर उनकी कोर्ट-निर्देशित भूमिका से जैन समाज या कोल्हापुरवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंची हो, तो वे “मिच्छामी दुक्कड़म्” कहते हुए क्षमा मांगते हैं।
मधुरी के लिए एकजुटता की अपील
उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य किसी के विरोध में नहीं, बल्कि मधुरी के कल्याण के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ना है। हमारा हर कदम पारदर्शिता, पशु कल्याण और समुदाय के सम्मान के साथ जुड़ा रहेगा।”
कानूनी प्रक्रिया और भावनाओं के बीच संतुलन
इस तरह, Vantara ने न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, बल्कि यह भी दिखाया है कि धार्मिक और भावनात्मक जुड़ाव को समझते हुए एक संतुलित, मानवीय और व्यावहारिक समाधान निकाला जा सकता है।