Mahavatar Narsimha: शानदार आइडिया, लेकिन क्या बना शानदार सिनेमा?

Mahavatar Narsimha

Mahavatar Narsimha: पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय सिनेमा ने कई दिलचस्प फिल्मों की पेशकश की है, सैयारा, धड़क 2, सु फ्रॉम सो, मिडिल क्लास फैमिली लेकिन इन सबके बीच एक फिल्म जिसने खासा ध्यान खींचा है, वो है महावतार नरसिंह।

यह एक 3D एनिमेटेड फिल्म है जो भगवान विष्णु के दशावतारों में से दो वराह और नरसिंह पर आधारित है। इसे होम्बले फिल्म्स (जिन्होंने केजीएफ और कांतारा जैसी हिट फिल्में दी हैं) ने प्रस्तुत किया है और इसे अश्विन कुमार ने निर्देशित किया है। यह सात भागों की एक सीरीज की पहली फिल्म है।

हमने यह फिल्म परिवार के साथ देखी, और ईमानदारी से कहें तो अनुभव मिला-जुला रहा।

Mahavatar Narsimha

क्या बच्चों के लिए सही है?

फिल्म UA13+ रेटिंग के साथ आती है, लेकिन शुरुआती कुछ scenes जिस तरह से बनाए गए हैं, वो छोटे बच्चों के लिए थोड़े uncomfortable हो सकते हैं। शुक्र है कि शुरुआती दृश्यों में subtitle नहीं थे और हमारा बेटा अपनी पॉपकॉर्न में व्यस्त था।

फिल्म की कहानी कैसी है?

कहानी प्रह्लाद और उनके पिता हिरण्यकश्यप के टकराव पर आधारित है। साथ ही भगवान वराह और Mahavatar Narsimha के अवतारों को दिखाया गया है। लेकिन फिल्म की गति काफी धीमी है, खासकर दूसरे हिस्से में। प्रह्लाद की भक्ति की कहानी जितनी बार-बार दोहराई जाती है, वो कुछ समय बाद थकाने लगती है।

ग्राफिक्स और एनिमेशन

यह सबसे बड़ी निराशा रही। 2025 की फिल्म होने के बावजूद, 15 करोड़ के बजट वाली इस फिल्म की एनीमेशन व ग्राफ़िक क्वालिटी काफी साधारण लगी। द लीजेंड ऑफ हनुमान जैसी वेब सीरीज इससे कहीं बेहतर है। कई बार किरदारों के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं दिखता न गुस्सा, न दुख, न खुशी। जैसे, जब वराह हिरण्याक्ष का वध करता है, तब हिरण्यकश्यप के चेहरे पर कोई भाव ही नहीं था।

3D का भी नाम मात्र इस्तेमाल हुआ है। लोग थिएटर में बिना चश्मे के फिल्म देख रहे थे, और बच्चे तो 20 मिनट बाद ही चश्मा उतार बैठे।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर

संगीत संयोजन सम सीएस का है, लेकिन उम्मीद के अनुसार प्रभाव नहीं छोड़ता। कुछ सीन जरूर भावनात्मक हैं, लेकिन संगीत उनका साथ नहीं देता।

Mahavatar Narsimha

क्या फिल्म में कुछ अच्छा भी है?

बिलकुल। प्रह्लाद का मासूम चेहरा, और फिल्म का अंतिम हिस्सा, जहां भगवान Mahavatar Narsimha स्तंभों से प्रकट होते हैं, काफी भावुक कर देने वाला है। क्लाइमेक्स में हिंसा जरूर अधिक है, लेकिन कहानी की मजबूती इसे संभाल लेती है।

फिल्म का अंत पुरातात्विक स्थलों की झलकियों और प्रह्लादपुरी मंदिर (मुल्तान, पाकिस्तान) की जानकारी के साथ होता है, जो एक अच्छा टच है।

Mahavatar Narsimha ‘हाइप’ के लायक है?

अगर आप बच्चों के साथ एक धार्मिक-शिक्षाप्रद अनुभव की तलाश में हैं, तो हां, महावतार नरसिंह एक बार देखा जा सकता है। लेकिन यदि आप ग्राफिक्स और एनिमेशन में कुछ नया और दमदार देखने की उम्मीद कर रहे हैं, तो शायद निराशा हाथ लगे।

कुल मिलाकर, यह Mahavatar Narsimha भक्ति, साहस और न्याय की भावना से भरी हुई है, लेकिन तकनीकी स्तर पर यह और बेहतर हो सकती थी।